Saturday, March 15, 2025
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एसोचैम नॉर्थ रीजन ने यू.टी हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ मिलकर टीबी मुक्त भारत मिशन में दिया योगदान

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सिटीन्यूज़ नॉउ/सहगल सुशील/सिंह परमदीप
चंडीगढ़। द एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) नॉर्थ रीजन ने यूटी चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर 11 फरवरी को एक सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें टीबी मरीजों को खाद्य सामग्री की टोकरी वितरित की गई। यह पहल भारत सरकार के मार्च 2025 तक टीबी मुक्त भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य मरीजों को उचित पोषण प्रदान करना और बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
इस कार्यक्रम में अजय चगति, आईएएस, हेल्थ सेक्रेटरी, यूटी चंडीगढ़ और डॉ. सुमन सिंह, डायरेक्टर, हेल्थ सर्विसेज, यूटी चंडीगढ़ ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। इस पहल के तहत 60 से अधिक टीबी मरीजों को खाद्य सामग्री की टोकरी दी गई.
हेल्थ सेक्रेटरी यूटी चंडीगढ़ अजय चगति ने एसोचैम की इस पहल की सराहना की और टीबी उन्मूलन में सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अगले छह महीनों तक सभी मरीजों को खाद्य सामग्री की टोकरी दी जाएगी, जिससे उन्हें निरंतर पोषण सहायता मिलती रहे।
डॉ. सुमन सिंह, डायरेक्टर, हेल्थ सर्विसेज, यूटी चंडीगढ़ ने टीबी मामलों में वैश्विक वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि टीबी के मामले 2021 में 5.8 मिलियन से बढ़कर 2022 में 6.4 मिलियन हो गए, और 2023 में 7.5 मिलियन मामलों का अनुमान लगाया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि यूटी चंडीगढ़ में हर साल लगभग 7,000 टीबी के मामले सामने आते हैं। उन्होंने टीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न हितधारकों की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया और एनएचएम, चंडीगढ़ की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिससे टीबी मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
एसोचैम चंडीगढ़ यूटी काउंसिल के चेयरमैन एवं एसएमएल इसुजु के सीएफओ, राकेश भल्ला ने इस सामाजिक पहल को सफल बनाने में चंडीगढ़ प्रशासन और एसोचैम के संयुक्त प्रयासों की सराहना की। उन्होंने एसएमएल इसुजु की ओर से इस अभियान को निरंतर समर्थन देने का आश्वासन दिया।
एसोचैम अपनी सामाजिक जागरूकता पहलों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है और अन्य संगठनों से भी इस महान अभियान से जुड़ने का आह्वान करता है। टीबी के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता, जागरूकता और अटूट संकल्प की आवश्यकता है—इसी से भारत टीबी मुक्त भविष्य का सपना साकार कर सकता है।

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