सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़, — रूह फेस्टिवल की शामें दिन-ब-दिन संगीतमय रंगों से भरती जा रही हैं। बुधवार की शाम दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव लेकर आई, जब युवाओं के चहेते फिरदौस बैंड ने मंच संभालते ही अपनी ऊर्जावान और दिल छू लेने वाली प्रस्तुतियों से पूरे माहौल को झूमने पर मजबूर कर दिया।
बैंड द्वारा पेश किए गए समकालीन और शास्त्रीय संगीत के मेल ने युवाओं में उत्साह भर दिया। तालियों की गड़गड़ाहट और हूटिंग की गूंज देर तक स्थल में गूंजती रही।शाम जैसे-जैसे गहराती गई, मंच पर प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक भुवन शर्मा की सधी हुई मौजूदगी ने वातावरण में भावनाओं की एक नई परत जोड़ दी। उनकी मखमली आवाज़ और सूफियाना अंदाज़ ने श्रोताओं को गहराई से छू लिया।उन्होंने ‘कौन था वो जिसको देखा नहीं…’, ‘आज जाने की ज़िद न करो…’, ‘रफ़्ता रफ़्ता हो गए…’ और ‘ताना बाना बुनती हवा…’ जैसी ग़ज़लों के माध्यम से महफिल को एक नई ऊंचाई दी।
भुवन शर्मा ने मंच से कहा, “संगीत वही जो रूह तक पहुंचे, और ग़ज़ल वही जो दिलों को झिंझोड़ दे।”रूह फेस्टिवल की यह संध्या भावनाओं, कला और आत्मा को छूने वाले संगीत का एक अनुपम संगम साबित हुई, जिसने हर उम्र के दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी।