सिटीन्यूज़ नॉउ
ऋषिकेश । श्री आर. के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने बताया कि नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 40वीं अर्धवार्षिक बैठक 18.08.2025 को टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, ऋषिकेश के रसमंजरी हॉल में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता नराकास, अध्यक्ष एवं टीएचडीसी के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेन्द्र सिंह ने की ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के टीईएस हाईस्कूल के विद्यार्थियों के द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गान प्रस्तुत किया गया। सभी उपस्थित प्रतिभागियों ने करतल ध्वनि से इन विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया । बैठक के दौरान पुरस्कार वितरण समारोह में समिति के अध्यक्ष, श्री शैलेन्द्र सिंह ने अपने कर-कमलों से छमाही के दौरान नराकास के तत्वावधान में आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया ।
इस अवसर पर नराकास की वार्षिक पत्रिका ‘’ज्ञान प्रकाश’’ के 13वें अंक, टीएचडीसी की राजभाषा पत्रिका ‘’पहल’’, केंद्रीय विद्यालय, एसएसबी श्रीनगर की छमाही पत्रिका ‘’वागिशा’’ के प्रथम अंक का विमोचन किया गया। बैठक में नराकास सचिव, श्री पंकज कुमार शर्मा द्वारा नराकास हरिद्वार द्वारा आयोजित गतिविधियों एवं राजभाषा से संबंधित नवीनतम जानकारियों से अवगत कराया गया ।
समिति के अध्यक्ष, श्री शैलेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में सभी सदस्य संस्थानों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों का उनके प्यार एवं सम्मान के लिए धन्यवाद देते हुए समिति के संचालन में सबके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश भारत के अधिकतर लोगों की भाषा हिंदी है। हम हिंदी में ही अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से रख सकते हैं और हिंदी में बोली जाने वाली बात सबकी समझ में आ जाती है । हिंदी अपने भावों एवं विचारों को व्यक्त करने का सरल एवं सहज माध्यम है इसलिए आपस में सामान्य वार्तालाप में और अपने घरों में हिंदी में ही बात करते हैं ।
हिंदी की विशेषता है कि इसमें सभी भाषाओं के शब्दों को अपनाने की प्रबल शक्ति मौजूद है। उन्होंने सभी संस्थानों के प्रमुखों को बताया कि राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए जारी किए गए वार्षिक कार्यक्रम की कुछ मदों के प्रतिशत में परिवर्तन किया गया है, इसलिए इस नवीनतम वार्षिक कार्यक्रम का संदर्भ अवश्य ही ग्रहण करें।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रही है जिसके परिणामस्वरूप हिंदीतर राज्यों में हिंदी सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। ‘’क’’ क्षेत्र में होने के कारण हमें भरसक प्रयास करना चाहिए कि राजभाषा विभाग द्वारा दिए गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करें । कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी सदस्य संस्थानों के प्रमुख एवं प्रतिनिधियों को बैठक में भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया।