सिटीन्यूज़ नॉउ/सहगल सुशील/सिंह परमदीप
चंडीगढ़। मुफ्त और क्वालिटी शिक्षा के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करने हेतू पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पंजाब के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कक्षा 1 की 25 प्रतिशत सीटें कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया है।ज्ञात रहे कि पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव और एजुकेशनल इक्वलिटी के सरपरस्त डॉ. राजू ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करके कानूनी लड़ाई की अगुआइ करते हुए आरटीई नियम 2011 के पंजाब के नियम 7 (4) को चुनौती दी थी। उनके लगातार प्रयासों ने उन सिस्टम की बाधाओं को उजागर किया, जिन्होंने हजारों बच्चों को उनकी सही शिक्षा से वंचित कर दिया था। माननीय उच्च न्यायालय ने उनके तर्क से सहमति जताते हुए नियम को आरटीई अधिनियम की धारा 12(1)(सी) के विपरीत बताते हुए रद्द कर दिया।
सिटीन्यूज़ नॉउ से बातचीत करते हुए डॉ. राजू ने कहा कि यह फैसला न एक कानूनी जीत है, बल्कि वित्तीय बाधाओं के कारण शिक्षा से वंचित हर बच्चे के लिए एक नैतिक जीत है। उन्होंने सरकारी अधिकारियों और सिविल सोसाइटी दोनों से अनुपालन की सक्रिय निगरानी (एक्टिव मॉनिटरिंग) करने का आग्रह किया है।केएस राजू लीगल ट्रस्ट के ट्रस्टी एडवोकेट कृष्ण दयामा ने कहा कि ट्रस्ट ने यह जनहित याचिका दायर करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पंजाब में आरटीई एक्ट के इम्प्लीमेंटेशन में कमी के कारण हजारों वंचित बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो गए थे।
डॉ. राजू अब यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि पात्र बच्चे और उनके परिवार अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों और अपने सही एडमिशन का दावा कर सकें। वे एडमिशन प्रोसेस में अधिक पारदर्शिता और निजी स्कूलों द्वारा किसी भी तरह की चोरी को रोकने के लिए मजबूत मॉनिटरिंग तंत्र पर भी जोर दे रहे हैं।