संजीव गोयल का काला सच: सेवानिवृत्त होने के बावजूद बने हुए हैं रजिस्ट्रार:परमिंदर भट्टी, भ्रष्टाचार की परतें उधेड़ता पंजाब, आयुर्वेदिक शिक्षा प्रणाली में घुट रहा कायदा: केतन शर्मा
सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़ । सामाजिक कार्यकर्ता परमिंदर कुमार भट्टी ने पंजाब की आयुर्वेदिक शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि गुरु रविदास आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार (अतिरिक्त प्रभार) संजीव गोयल पिछले 8 वर्षों से इस पद पर बने हुए हैं, जबकि उनकी शैक्षणिक योग्यता इस पद के लिए पूरी नहीं है।
भट्टी ने कहा कि यह व्यक्ति पंजाब की आयुर्वेदिक शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। गौर करने वाली बात यह है कि संजीव गोयल ने जून 2020 में सेवानिवृत्ति की उम्र पूरी की, लेकिन उसके बावजूद भी वे अपनी सेवाएँ जारी रखते हुए सरकारी वेतन ले रहे हैं।
भट्टी ने बताया कि संजीव गोयल ने अपनी स्थिति का फायदा उठाते हुए अपने बेटे और बहू को आयुर्वेद में पीएचडी करवाने का अवसर दिया। इसके अलावा, वे टॉम व स्मिता दवाओं का व्यापार करने वाले फर्जी डॉक्टरों को भी संरक्षण दे रहे हैं, जो आयुर्वेदिक दवाएं बेचते हैं।
भट्टी ने कहा कि “यदि इनकी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की जाए, तो सामूहिक नकल के मामले भी सामने आएंगे।”आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड और गुरु रविदास आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थानों की स्थिति चिंताजनक है। केतन शर्मा के अनुसार, पंजाब सरकार के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। इससे स्पष्ट होता है कि संजीव गोयल का प्रभाव कितना बड़ा है।
यह भी खुलासा किया कि संजीव गोयल ने अपने कार्यकाल के दौरान बड़ी मात्रा में संपत्ति अर्जित की है। हाल ही में उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 40-बी में 8 करोड़ रुपये का मकान खरीदा तथा मोहाली में करोड़ों रुपये का औद्योगिक प्लॉट भी उनके पास है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ग्रे मार्केट में लाखों रुपये की संविदाएँ भी की हैं।
आने वाले समय में देखना होगा कि इस मुद्दे पर सरकार क्या कदम उठाती है और क्या संजीव गोयल के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी, जिससे पंजाब की शिक्षा प्रणाली में सुधार हो सके।