सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़। अंतरराष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. कमल सोई, राहत द सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन और सोसाइटी फॉर करप्शन फ्री इंडिया चेयरमैन ने पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में जारी ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक्स (एडीटीटी) का नया टेंडर को घोटाला बताते हुए कहा कि इसे चुनिंदा निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है।
डॉ. सोई ने गत अप्रैल की कार्रवाई को याद दिलाया जब पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने पूरे राज्य के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कार्यालयों और ड्राइविंग टेस्ट ट्रैकों पर छापेमारी कर लाइसेंस के लिए रिश्वत के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया था।
उन्होंने यह भी बताया कि उस समय माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की एचएएमएस टेक्नोलॉजी को एसएएस नगर, मोहाली में ड्राइविंग लाइसेंस कंपेटेंसी टेस्ट के लिए लागू करने में स्टेट ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने जानबूझकर देरी की थी। यह पायलट प्रोजेक्ट कई महीनों से तैयार था लेकिन उसे रोककर रखा गया। मीडिया के हस्तक्षेप के बाद ही एचएएमएस लागू किया गया।
डॉ. कमल सोई ने कहा कि राज्य सरकार ने अब टेंडर नोटिफिकेशन नंबर: पीएसटीएस/1361, दिनांक 05.09.2025 के तहत एक आरएफपी जारी किया है। यह आरएफपी सेवा प्रदाताओं के चयन के लिए है, ताकि अगले 5 वर्षों की अवधि के लिए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के क्रियान्वयन, संचालन और रखरखाव, ड्राइविंग लाइसेंस के निजीकरण तथा अन्य संबद्ध सेवाओं को पंजाब स्टेट ट्रांसपोर्ट सोसाइटी को उपलब्ध कराया जा सके। यह पूरा मामला हेराफेरी, पक्षपात और भ्रष्टाचार की बू देता है।
डॉ. सोई ने तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए पंजाब सरकार से आग्रह किया मौजूदा आरएफपी को तुरंत वापस लिया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से तुरंत हस्तक्षेप कर इस बड़े घोटाले को रोकने की अपील की। डॉ. सोई ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो पंजाब के लोगों को न्याय दिलाने के लिए हमारे पास न्यायपालिका का दरवाज़ा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।