Wednesday, August 6, 2025
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पंजाब सरकार द्वारा अगले विधानसभा सत्र में प्रस्तावित वृक्ष संरक्षण अधिनियम अधूरा है : वटरुख फाउंडेशन प्रस्तावित अधिनियम में ग्रामीण क्षेत्र शामिल नहीं

जबकि पंजाब का 90 फीसदी भूभाग ग्रामीण है, वन क्षेत्र व वृक्षों के आच्छादन को मिलाकर कुल हरित क्षेत्र अब महज 6.59 प्रतिशत ही रह गया है

सिटीन्यूज़ नॉउ

चण्डीगढ़ / सर्वोच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशनुसार पंजाब सरकार द्वारा अगले विधानसभा सत्र में वृक्ष संरक्षण अधिनियम-2025 लाया जाना प्रस्तावित है। पर्यावरण को समर्पित वटरुख फाउंडेशन, चण्डीगढ़ एवं प्रदेश में सक्रिय अनेक पर्यावरणविदों का कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित उक्त वृक्ष संरक्षण अधिनियम अधूरा है।

वटरुख फाउंडेशन की संस्थापक निदेश समीता कौर ने समीता कौर ने कहा कि इतिहास में पंजाब को इसकी उपजाऊ ज़मीन और समृद्ध प्राकृतिक परिदृश्य के लिए जाना जाता था, परंतु आज यह राज्य शहरीकरण, औद्योगीकरण, बुनियादी ढांचे के विस्तार और अति-कृषि के चलते बड़े पैमाने पर वृक्षों की कटाई, वनों की समाप्ति और हरित क्षेत्र के नुकसान से जूझ रहा है। इसका सीधा असर वायु प्रदूषण, गिरते भूजल स्तर, मिट्टी के कटाव, जैव विविधता के नुकसान और नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

2001 से 2023 के बीच पंजाब का वन क्षेत्र 4.80 फ़ीसदी से घटकर 3.67 फ़ीसदी तथा वृक्षों का आच्छादन क्षेत्र 3.20 फ़ीसदी से घटकर 2.92 फ़ीसदी ही रह गया है यानी कुल हरित क्षेत्र अब महज 6.59 फ़ीसदी ही रह गया है। इस स्थिति से निपटने के लिए एक मजबूत व प्रभावी वृक्ष संरक्षण अधिनियम-2025 लागू होना जरूरी है।

एनजीटी ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हुए हैं कि वह निजी भूमि, शिकायत निवारण प्रणाली और वृक्षों की जनगणना जैसे कमज़ोर पहलुओं को 8 अक्टूबर 2025 तक संशोधित करे, ताकि इसे नवंबर 2025 में विधानसभा में पेश किया जा सके।प्रेस वार्ता में पंजाब भर से पर्यावरणविद् और नागरिक समाज के सदस्य शामिल हुए जिनमें प्रदेश में पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत्त जानी-मानी हस्तियां डॉ. मंजीत सिंह, कर्नल जसजीत सिंह गिल और इंजीनियर कपिल अरोड़ा मुख्य वक्ताओं में शामिल थे।

सभी ने एक स्वर में कहा कि पंजाब एक पर्यावरणीय आपातकाल की स्थिति से गुजर रहा है। चूंकि कानून रोज़ नहीं बनते, इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार पर्यावरणविदों और सिविल सोसाइटी से विचार-विमर्श कर एक व्यापक और प्रभावी वन संरक्षण अधिनियम 2025 तैयार करे, जिससे पंजाब को इस संकट से उबारा जा सके। इसके अलावा चिंचित पर्यावरणविदों ने राज्य में हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए पेड़ों के लंगर व छबीलें लगाने की योजना पर चर्चा की।

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