सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़। वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे’ के अवसर पर पार्क हॉस्पिटल के डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम डॉ. अनिल सोफत (कंसल्टेंट, ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी), डॉ. संगीता प्रधान (कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजिस्ट), डॉ. जोबन जीत कौर (कंसल्टेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), और डॉ. विमल विभाकर (सीनियर कंसल्टेंट, जनरल सर्जरी व मेडिकल डायरेक्टर, पार्क हॉस्पिटल ने इस जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक किया।
सिटीन्यूज़ नॉउ से बात करते हुए डॉ. अनिल सोफत ने कहा कि हर साल 8 जून को ‘वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे’ मनाया जाता है। ब्रेन ट्यूमर एक खतरनाक स्थिति है जो शरीर के नियंत्रण केंद्र – मस्तिष्क – को प्रभावित करता है। मस्तिष्क शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो खाना, बोलना, चलना, सोचने से लेकर सभी भावनाएं – प्रेम, क्रोध, भय आदि को नियंत्रित करता है। मस्तिष्क एक कठोर खोल यानी खोपड़ी (स्कल) के भीतर स्थित होता है। सुरक्षित ढांचे के भीतर ऊतकों की असामान्य वृद्धि ‘ट्यूमर’ का रूप ले लेती है।
डॉ. सोफत ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर मरीज को आधुनिक तकनीक और समय पर पहचान से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।डॉ. संगीता प्रधान ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर मैलिग्नेंट (कैंसरयुक्त) और बिनाइन (गैर-कैंसरयुक्त के हो सकते हैं। मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर अधिकतर मस्तिष्क के ऊतकों (इंट्रिंसिक) से उत्पन्न होते हैं और इनका इलाज सभी उपलब्ध तरीकों (सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी) का उपयोग करने के बाद भी केवल एक सीमित समय के लिए ही प्रभावी रहता है। जबकि बिनाइन ट्यूमर अधिकतर मस्तिष्क के चारों ओर की संरचनाओं (एक्सट्रिंसिक) से उत्पन्न होते हैं। इन्हें सर्जरी के माध्यम से पूरी तरह से हटाया जा सकता है।
इस अवसर पर डॉ. जोबन जीत कौर ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर सभी प्रकार के कैंसर का लगभग 2 प्रतिशत होते हैं। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों के कैंसर से मेटास्टेसाइज नहीं करते यानी शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलते। वहीं, बिनाइन ट्यूमर मस्तिष्क के चारों ओर की संरचनाओं से उत्पन्न होते हैं और इन्हें सर्जरी से पूरी तरह हटाया जा सकता है। स्टेरियोटैक्टिक तकनीक द्वारा निर्देशित रेडियोथेरेपी काफी कारगर है।
डॉ. विमल विभाकर ने जानकारी दी कि ब्रेन ट्यूमर का उपचार मुख्यत: ट्यूमर को निकालने से शुरू होता है, ताकि सामान्य मस्तिष्क संरचनाओं पर हो रहे दबाव को तुरंत कम किया जा सके और ट्यूमर की बायोप्सी प्राप्त की जा सके ताकि उसके प्रकार व आगे के इलाज की योजना बन सके। मैलिग्नेंट ट्यूमर के लिए इसके बाद रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है।