जब निर्माण न बदले, तब भी ऊर्जा बदली जा सकती है
सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़/ तेज़ रफ्तार जीवनशैली, सीमित स्थान और अपार्टमेंट संस्कृति के इस युग में, जब हर व्यक्ति अपने घर या कार्यालय में मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की तलाश कर रहा है, ऐसे में वास्तु शास्त्र एक प्राचीन किन्तु आज भी पूर्णतः प्रासंगिक विज्ञान के रूप में उभर रहा है। यह विज्ञान आज बिना किसी तोड़-फोड़ के उपायों द्वारा लोगों को ऊर्जा संतुलन और जीवन में स्थायित्व प्रदान करने में सक्षम सिद्ध हो रहा है।
यह बात वास्तु विशेषज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य विराज वाधवा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।वास्तु विशेषज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य विराज वाधवा, जो ढकोली (ज़ीरकपुर) स्थित अपने केंद्र ‘कॉस्मिक वास्तु’ से सेवाएं दे रहे हैं, वास्तु के क्षेत्र में 25 वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनका मानना है कि आज के शहरी जीवन में निर्माण कार्य में बदलाव कर पाना अक्सर संभव नहीं होता, “लेकिन वास्तु दोषों को बिना तोड़-फोड़ के भी प्रभावी ढंग से सुधारा जा सकता है।”
वाधवा ने समझाया कि पंचमहाभूत – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – प्रत्येक दिशा से जुड़े होते हैं। जब ये तत्व असंतुलित हो जाते हैं, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, आर्थिक रुकावटें और जीवन में अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
केवल रंगों और दिशात्मक टूल्स के माध्यम से, बिना किसी निर्माण कार्य के, कुछ ही सप्ताह में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला।उन्होंने सलाह दी कि जो लोग नया घर बना रहे हैं, उन्हें निर्माण की योजना में ही वास्तु ज़ोन और दिशा विज्ञान को सम्मिलित करना चाहिए।
वास्तु विश्लेषण की उनकी प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक और व्यवहारिक है। वे दिशा निर्धारण, ऊर्जा मैपिंग और लेआउट मूल्यांकन के माध्यम से किसी भी घर या दफ्तर में मौजूद दोषों की पहचान करते हैं और फिर दर्पण, रंगों, धातु स्ट्रिप्स, पिरामिड और दिशात्मक सक्रियण जैसे साधनों द्वारा समाधान प्रदान करते हैं।