सिटीन्यूज़ नॉउ/सहगल सुशील/सिंह परमदीप
चंडीगढ़। इंसान के हृदय में चार वाल्व होते हैं जो खून के बहाव को कंट्रोल करते हैं, पर कई बार ठीक तरीके से खुल व बंद नहीं हो पाते, जिसके कारण कारण हृदय शरीर के अंगों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचा पाता है जोकि जानलेवा हो सकता है, इस गंभीर रोग को एओर्टिक स्टेनोसिस कहते हैं ।
इस बाबत जानकारी देते हुए डॉ. एच. के. बाली ने सिटीन्यूज़ नॉउ को बताया कि एओर्टिक स्टेनोसिस से ग्रस्त पंचकूला निवासी 87 वर्षीय बुजुर्ग गंभीर स्थिति में पहुंचा जो अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहा था और कारण हार्ट सर्जरी संभव नहीं थी। हृदय के एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए गैर-सर्जिकल प्रक्रिया टीएवीआर का उपयोग करते हुए इलाज कर दिया और आज वें स्वस्थ जीवन जी रहे हैं ।टीएवीआर – ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट के माध्यम से ठीक हो चुके 70 से 85 साल के हृदय रोगियों की उपस्थिति में इस गैर-सर्जिकल प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देते कार्डियक साइंसेज लिवासा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ. एच. के. बाली ने कहा यह मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है और जिसके तहत बिना ओपन हार्ट सर्जरी के पुराने (खराब), क्षतिग्रस्त वाल्व को हटाए बिना एक नया वाल्व रोगग्रस्त वाल्व के अंदर रखा गया है।टीएवीआर सफल उपचार प्रक्रिया इसलिए भी है चूंकि एओर्टिक स्टेनोसिस मुख्य रूप से बुजुर्ग रोगियों में अधिक पाया जाता है और अक्सर ये किडनी, फेफड़े या शुगर आदि से ग्रस्त होते हैं या पहले ही वाल्व डलवा चुके होते है इसलिए उन्मे ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से सर्जिकल वाल्व डालना खतरे से खाली नहीं होता ।प्रारंभ में, टीएवीआर केवल उन रोगियों में किया गया था जिनमे ओपन हार्ट सर्जरी से वाल्व डालना उनकी जान के लिए खतरनाक था ।
डॉ. बाली ने कहा कि बढ़ते अनुभव और बेहतर वाल्वों की उपलब्धता के साथ, अब एओर्टिक स्टेनोसिस से ग्रस्त बुजुर्ग रोगियों के इलाज के लिए टीएवीआर को प्राथमिकता दी जा रही है।डॉ. बाली ने कहा कि देश में विशेषकर बुजुर्गों मे एओर्टिक स्टेनोसिस लगातार बढ़ रहा है । ऐसी स्थितियों में टीएवीआर प्रभावी और सुरक्षित विकल्प है जिसकी पूरी प्रक्रिया कुछ घंटों में समाप्त हो जाती है। रोगी को अगले दिन एम्बुलेटरी किया जाता है और 2 या 3 दिनों में छुट्टी दे दी जाती है।