‘मेक इन इंडिया’ और ‘विकसित भारत’ जैसी राष्ट्रीय पहलों से जुड़ी बायोई³ नीति सतत विकास को बढ़ावा देगी
सिटीन्यूज़ नॉउ
चण्डीगढ़। राष्ट्रीय कृषि–आहार तथा जैव–निर्माण संस्थान (बीआरआईसी–एनएबीआई) ने आज ‘बायोई³ सम्मेलन’ का आयोजन किया, जो भारत सरकार की बायोई³ नीति—अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव–प्रौद्योगिकी—को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह आयोजन ‘बायोई³ पखवाड़ा’ का हिस्सा था, जो इस परिवर्तनकारी राष्ट्रीय पहल के एक वर्ष पूर्ण होने का उत्सव है।
युवाओं को सशक्त बनाने, किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार सृजन करने तथा भारत की जैव–अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने हेतु तैयार की गई यह बायोई³ नीति, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘विकसित भारत’ जैसी राष्ट्रीय पहलों से जुड़ी है। उद्घाटन समारोह में भारत सरकार के जैव–प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले तथा पंजाब सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग के सचिव श्री प्रियंक भारती (आईएएस) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
बीआरआईसी–एनएबीआई के कार्यकारी निदेशक प्रो. अश्वनी पारीक ने बायोई³ के लिए संस्थान की कार्यान्वयन रूपरेखा प्रस्तुत की और घोषणा की कि पंजाब जैव–प्रौद्योगिकी अनुसंधान–प्रशिक्षण केंद्र (पीबीटीआई) शीघ्र ही राज्य के लिए प्रथम ‘बायोई³ आमंत्रण’ आयोजित करेगा।
बीआरआईसी–एनएबीआई में आयोजित बायोई³ सम्मेलन ने भारत की इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि देश सतत जैव–अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा, नवाचार–आधारित विकास को प्रोत्साहित करेगा और अर्थव्यवस्था, पर्यावरण एवं रोजगार के लिए जैव–प्रौद्योगिकी की दृष्टि से अगली पीढ़ी को सशक्त बनाएगा।