Tuesday, April 29, 2025
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विश्वास फाउंडेशन पंचकूला द्वारा रविवार को ‘विश्वास मैडिटेशन रिट्रीट’ का आयोजन

सिटीन्यूज़ नॉउ

पंचकूला 13 अप्रैल 2025। विश्वास फाउंडेशन के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर व गुरुदेव श्री स्वामी विश्वास जी के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर विश्वास फाउंडेशन पंचकूला द्वारा रविवार को ‘विश्वास मैडिटेशन रिट्रीट’ का आयोजन सुबह 11:00 बजे से 1:30 बजे तक पंचकूला स्थित इंद्रधनुष सभागार में किया गया। इस वातानुकूलित इंद्रधनुष सभागार में ट्राईसिटी के लगभग डेढ़ हजार लोगों ध्यान मैडिटेशन का आनंद लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत साधक साध्वियों के मधुर भजनों से हुई। मैडिटेशन सत्संग के दौरान गुरुदेव जी ने मैडिटेशन और मानव सेवा का संदेश दिया गया और मानसिकता के भारी दबाव में चल रहे जीवन से बाहर निकलने के लिए उनके दिखाए मार्ग और दिशा पर चलने का संदेश दिया गया। इस मैडिटेशन रिट्रीट’ में गुरुदेव श्री स्वामी जी के प्रवचनो को वीडियो द्वारा चलाया गया। गुरुदेव जी ने मुनष्य के जीवन के मूल मंत्र को लेकर कहा कि वास्तविक स्वभाव से जीवन जीने वाला सुख की तलाश नहीं करता, इंसान ने दुख को ही अपना स्वभाव मान लिया है।

गुरुदेव जी ने आगे कहा कि सभी धार्मिक ग्रंथो का एक ही उद्देश्य है कि इंसान के अंदर की प्रवृत्ति को जगाना, लेकिन इंसान रियलिटी से दूर हो रहा है। बाहर की जानकारी हमें मीडिया देता है और हमारे भीतर की जानकारी हमारा मन देता है। हमें बाहर की दोनों की आंखों के साथ-साथ अंदर की आंख से भी अपने अंदर के जगमगाते सूर्य की तरफ देखना चाहिए। गुरुदेव जी ने आगे कहा कि सुख मांगना नहीं, ढूंढना नहीं है। सुख इंसान के अपने स्वभाव का ही दूसरा रूप है।

इसलिए सुख केवल मांगने की जरूरत नहीं है। अपने स्वभाव को पहचानो, आपको अपनी पहचान से ही आपकी तलाश पूरी होगी जो स्वयं अपने आप में सच्चा इंसान होता है उसका कर्म धर्म होता चला जाएगा। आज के इंसान के अंदर हंकार और ईगो से भरी एक आत्मा है, दूसरी और प्रेम से भरी आत्मा में कोई इच्छा नहीं है, कोई लालच नहीं, ऐसे में इंसान का जीवन हमेशा हरा भरा रहता है। गुरुदेव जी ने कहा कि धन्य है वह इंसान जो प्रभु को प्रभु से चाहता है, वह हर हालत में खुश होकर जीता है, हर हाल में आनंद में सुख प्राप्त करता है।

गुरुदेव जी ने कहा कि गीता के संदेश को प्रैक्टिकल जीवन में भी अपनाना चाहिए, यह केवल कन्ठग्रस्त करने या सुनने मात्र के लिए नहीं है। जब हम अपने से प्रेम करते हो अपनी आत्मा से प्रेम करते हो, तो फिर तुम कर्म के लिए कर्म करते हो, इसकी कोई व्याख्या नहीं होती। कार्यक्रम की समाप्ति भोजन प्रसादम के साथ हुई व आने वाले सभी श्रद्धालुओं को पैकेट बंद प्रसाद भी दिया गया।

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