चंडीगढ़ :- नुक्कड़ नाटक एक कदम उजाले की ओर का मचंन सैक्टर 17 चंडीगढ़ प्लाजा में किया गया ।इस नाटक का निर्देशन राजीव मेहता ने किया । 27 मार्च 2025 को 63वां विश्व थिएटर दिवस मनाया गया, जिसका मुख्य उत्सव केंद्रों और आईटीआई के सामान्य सचिवालय द्वारा ऑनलाइन किया गया। World Theatre Day 2025: मनोरंजन के दृष्टिकोण से विश्व रंगमंच दिवस अपना खास स्थान रखता है।
हर साल 27 मार्च के दिन विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) का आयोजन किया जाता है। पूरे विश्व में रंगमंच को अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए साल 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) ने इस दिन की नींव रखी थी-ऋग्वेद के कतिपय सूत्रों में यम और यमो पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद है इन संवाद में लोग नाटक के विकास को देखते हैं इन्हीं संवादों से प्रेरणा पाकर लोगो ने नाटक की रचना की होगी और इसी से नाट्य कला का विकास हुआ यथा सम’य भरतमुनि ने उसे असली रूप दिया । भरतमुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में नाटकों के विकास की प्रक्रिया को लिखा है नाट्य कला की उत्पत्ति देवी है ।
नाटक कलाकार और दर्शर्कों दोनों के मन पर अपनी छाप छोड़ता है,समाज में फैल रही अच्छाईयों और बुराइयों को नाटक द्वारा चित्रन किया जाता है। नाटक के कलाकारों मे योगेश अरोडा़ , राजीव मेहता , कुमार, भूपिंदर सिहः सधूं , आशा सकलानी, राहुल , हरप्रीत सिहः, मुनीश कपूर,कनव , सनव,दृष्टि, पीहु और हर्षुल रेहान थे।
नाटक ग्लूकोमा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए राजीव मेहता द्वारा लिखित और निर्देशित उनके नाटक *एक कदम उजाले की ओर* का मंचन किया गया। नाटक यह संदेश के मकसद से नाटक सफल रहा, कि हमें अपने जीवन में किसी भी परकार की आंखों की चोट, दर्द, या बीमारी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
स्थानीय केमिस्ट की सलाह पर, घरेलू उपचार या बिना सब्सक्रिप्शन दवाएं लेने के तुरंत बाद हमें इस घातक बीमारी ग्लूकोमा से बचने के लिए हमेशा नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टरों से मिलना चाहिए। क्योंकि अगर यह घातक बीमारी होती है तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। भविष्य में आंखों को होने वाले भारी नुकसान से समय पर ली गई चिकित्सा ही बचा सकती है। इसलिए कभी भी आंखों की चोट या बीमारी को नजर अंदाज न करें।