Sunday, August 3, 2025
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श्री हंसराज हंस गुरु काशी विश्वविद्यालय में ‘सूफी और लोक संगीत विरासत पीठ’ के अध्यक्ष नियुक्त किए गए

सिटीन्यूज़ नॉउ

चंडीगढ़ / पंजाब की संगीत परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, गुरु काशी विश्वविद्यालय, तलवंडी साबो ने विज़ुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स संकाय के तहत ‘सूफी और लोक संगीत विरासत पीठ’ की स्थापना की घोषणा की है। इस अवसर पर आज चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विश्वविद्यालय ने प्रतिष्ठित गायक पद्म श्री हंसराज हंस को पीठ के अध्यक्ष के रूप में औपचारिक रूप से स्वागत किया।

यह पीठ सूफी और लोक संगीत की समृद्ध धरोहर को शोध, शिक्षा, प्रलेखन और जनसंपर्क के माध्यम से संरक्षित करने और बढ़ावा देने का कार्य करेगी। हंसराज हंस के साथ, प्रो. डॉ. गुरप्रीत कौर, जो संकाय की डीन हैं, को कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है, जबकि डॉ. अमन सूफी को परियोजना समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया है।

सिटीन्यूज़ नॉउ से बात करते हुए गुरु काशी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश्वर सिंह ने कहा:”हमें गर्व है कि हम इस पीठ की स्थापना कर रहे हैं, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को अतीत और भविष्य के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगी। यह न केवल संगीत परंपराओं को संरक्षित करने में सहायक होगी, बल्कि सूफी और लोक संगीत के अध्ययन एवं अभ्यास को गहरी अकादमिक समझ भी प्रदान करेगी। पंजाब विश्वविद्यालय पद्म श्री हंसराज हंस ने अपने संबोधन में आभार व्यक्त करते हुए कहा:”मैंने अपना जीवन सूफी संतों की वाणियों और पंजाब की मिट्टी के गीतों को गाने में बिताया है।

इस दौरान, गुरु काशी विश्वविद्यालय की महिला कुलपति श्रीमती उषा सिंह भी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। उन्होंने पद्म श्री हंसराज हंसर को उनकी नियुक्ति पर हार्दिक बधाई दी और पंजाबी संगीत एवं सांस्कृतिक धरोहर में उनके अतुलनीय योगदान की सराहना की।

इस कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्तियों में प्रो. डॉ. गुरप्रीत कौर, डॉ. रमेश्वर सिंह, ई. सुखविंदर सिंह सिद्धू (महासचिव, बालाजी शिक्षा ट्रस्ट), डॉ. दलबीर सिंह कथूरिया, प्रो. डी. एन. जौहर (पूर्व कुलपति, डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा), और प्रो. डॉ. नीलम पॉल (पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) शामिल रहे।

वहीं प्रो. डॉ. नीलम पॉल और अन्य सलाहकार सदस्य वर्चुअल रूप से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।कार्यक्रम के अंत में सुखविंदर सिंह सिद्धू ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय के प्रयासों, संकाय और सभी सम्माननीय व्यक्तियों के योगदान को सराहना की।

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