सिटीन्यूज़ नॉउ
चण्डीगढ़ / सेक्टर 28 के श्री खेड़ा शिव मंदिर में आयोजित शिव महापुराण की कथा सुनाते हुए आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री जी ने कहा कि जिसके जीवन में संतोष है और जो मिल जाए, उसी में संतुष्ट रहता है, वही सुखी है, वही परम शांति को प्राप्त होता है। असंतुष्ट व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। जीवन में सब कुछ होते हुए भी यदि संतोष नहीं है तो व्यक्ति दरिद्र ही रहता है। संतोष के बिना सुख शांति की अनुभूति नहीं होती।
भौतिक सुख-साधनों से, जैसे बड़ा घर, ज्यादा धन, संपत्ति, बड़ी गाड़ी, बंगला आदि से जीवन में सुख नहीं मिलता। बल्कि और भी ज्यादा प्राप्त करने की इच्छा मन में बनी रहती है और इच्छा पूर्ति के लिए व्यक्ति पूरा जीवन अनेक प्रकार से दौड़ धूप करता रहता है। उसे संतुष्टि नहीं होती।
परंतु जीवन में यदि संतोष रूपी धन आ जाता है तो उसके आगे सारी संपत्ति, वैभव, सुख आदि फीके पड़ जाते हैं। संतों ने कहा है- गो-धन, गज-धन, वाजी-धन और रतन-धन खान। जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान।