Wednesday, August 6, 2025
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सीआईआई और फेस ने अंतरराष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन किया

क्षेत्रीय नेताओं ने निर्यात-आधारित वृद्धि मे की अपील

सिटीन्यूज़ नॉउ

नई दिल्ली / भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) – उत्तरी क्षेत्र और सीआईआई-खाद्य एवं कृषि उत्कृष्टता केंद्र (FACE) ने संयुक्त रूप से बुधवार, 6 अगस्त को नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन (IFPS) 2025 का आयोजन किया। खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से निर्यात को सशक्त बनाना – संभावनाओं को साकार करना थीम के तहत आयोजित इस सम्मेलन में नीति-निर्माताओं, उद्योग के अग्रणी नेताओं, वैश्विक निवेशकों और विकास भागीदारों ने भाग लिया।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उद्योग के नेताओं ने इस क्षेत्र की निर्यात, रोजगार, किसानों की आय और ग्रामीण परिवर्तन में भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि 50% से अधिक खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र अब भी असंगठित है, और इसके पूर्ण दोहन के लिए एकीकृत कोल्ड चेन, गुणवत्ता बुनियादी ढांचे, वैश्विक मानकों के अनुपालन और ब्रांडिंग की तत्काल आवश्यकता है। इस क्षेत्र की वर्तमान संभावनाएं लगभग 450 अरब अमेरिकी डॉलर आंकी गई हैं।

श्री पीरूज़ खंबट्टा, चेयरमैन, सीआईआई राष्ट्रीय कर समिति एवं चेयरमैन व प्रबंध निदेशक, रसना इंटरनेशनल ने आयुर्वेद-आधारित और पौधों पर केंद्रित खाद्य उत्पादों में बढ़ते अवसरों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि युवा उद्यमियों में खाद्य प्रसंस्करण के प्रति उत्साह तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) जैसे समझौतों को वैश्विक विस्तार के नए रास्ते खोलने वाला बताया।

डॉ. हरिंदर सिंह ओबेरॉय, निदेशक, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (NIFTEM), भारत सरकार ने भोजन को वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के प्रति नकारात्मक धारणाओं को दूर करने की अपील की और किसानों व प्रोसेसरों के लिए साझे मूल्य सृजन हेतु खेत स्तर पर प्रसंस्करण को अपनाने की सिफारिश की। साथ ही उन्होंने मिलेट्स के लिए स्पष्ट मानकों और स्वास्थ्य-उन्मुख उत्पाद जैसे फंक्शनल और शांत करने वाले खाद्य उत्पादों में नवाचार पर ज़ोर दिया।

आईटी सेक्टर द्वारा भारत के शहरी विकास में निभाई गई भूमिका की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ऐसा ही परिवर्तन ला सकता है। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि इस संभावित विकास को साकार करने के लिए उद्योग को टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं से निपटने के लिए मजबूत अनुपालन, तकनीकी पारदर्शिता और खाद्य उत्पादों के बारे में गलत सूचनाओं के खिलाफ रणनीतिक प्रयास करने होंगे।

सम्मेलन ने ठंडी श्रृंखलाओं (कोल्ड चेन) और गुणवत्ता बुनियादी ढांचे को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि एक मजबूत और भविष्य-तैयार खाद्य प्रणाली तैयार की जा सके।इस आयोजन में खाद्य, डेयरी, प्रसंस्करण उपकरण, रिटेल, लॉजिस्टिक्स और एग्री-टेक क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों ने भाग लिया।

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