Saturday, March 15, 2025
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हरियाणा एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा पीएचडी विवाद पर न्याय की मांग

सिटीन्यूज़ नॉउ/सहगल सुशील/सिंह परमदीप

चंडीगढ़, 21 फरवरी 2025: हरियाणा कांट्रैक्चुअल कॉलेज टीचर एसोसिएशन (एचसीसीटीए) के वरिष्ठ पदाधिकारियों रामपाल सिंह, चरण सिंह ग्रोवर,संदीप कुमार, डॉ सोनू रानी, डॉ नेहा, डॉ राकेश, डॉ देवेंद्र सिंह, डॉ राहुल, डॉ दीपक व अन्य सदस्यों के नेतृत्व में चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।

इस दौरान उन्होंने हरियाणा के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट में चल रहे पीएचडी विवाद पर अपनी राय रखी और असली स्थिति स्पष्ट की।

हरियाणा कांट्रैक्चुअल कॉलेज टीचर एसोसिएशन (एचसीसीटीए) के प्रधान रामपाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सीडब्ल्यूपी 26892/2023 की सुनवाई से जुड़ी सही जानकारी न्यायालय के समक्ष पेश नहीं की गई। इससे राज्य के एक्सटेंशन लेक्चरर्स में भय और नौकरी जाने का संकट पैदा हो गया है| उन्होंने कहा कि वे 2011 से सरकारी कॉलेजों में पूरी ईमानदारी और समर्पण से पढ़ा रहे हैं, लेकिन हाल ही में यूजीसी के 16 जनवरी 2025 के आदेश ने उनके भविष्य को संकट में डाल दिया है।

उन्होंने बताया कि यूजीसी ने अपने पत्र में राजस्थान के तीन निजी विश्वविद्यालयों ओपीजेएस, सनराइज और सिंघानिया विश्वविद्यालय को अगले पांच वर्षों (2025-2030) तक पीएचडी की डिग्री प्रदान करने से प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि पहले से प्राप्त पीएचडी डिग्रियां अमान्य हैं या अवैध मानी जाएंगी।

इसी आधार पर हरियाणा सरकार ने 160 एक्सटेंशन लेक्चरर्स को 18 फरवरी को स्पीकिंग ऑर्डर जारी कर नौकरी से निकाल दिया। एसोसिएशन ने बताया कि इन विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वाले सैकड़ों लोग रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर, एडेड कॉलेजों, प्राइवेट विश्वविद्यालयों और अन्य सरकारी पदों पर कार्यरत हैं। ऐसे में केवल एक्सटेंशन लेक्चरर्स पर कार्रवाई सवालों के घेरे में है।

प्रधान ने बताया कि मई 2024 में उच्चतर शिक्षा विभाग और कॉलेज प्राचार्यों द्वारा सभी पीएचडी डिग्रियों की वेरिफिकेशन करवाई गई थी, लेकिन 10 महीने बीत जाने के बावजूद इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। स्पीकिंग ऑर्डर में भी यह स्पष्ट नहीं किया गया कि डिग्री फर्जी कैसे है।

इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा निदेशक राहुल हुड्डा से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने आशा जताई कि अदालत में अनुभवी वकीलों के जरिए मजबूत तथ्यों के साथ लड़ाई लड़ी जाएगी और निकाले गए सभी एक्सटेंशन लेक्चरर्स को जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा।

तीन विश्विद्यालयों से प्राप्त डिग्री की बात जब UGC सचिव श्री मनीष जोशी जी से बात की तो उन्होंने अपने एक पर्सनल ट्वीट के माध्यम बताया कि केवल 2025 से 2030 यानी कि अगले पांच साल के लिये रोक लगाई है जिन्हीने इन तीनो विश्वविद्यालयों पीएचडी प्राप्त कर ली है वो वैलिड रहेगी।

एसोसिएशन ने मीडिया से अपील की कि इस गंभीर मामले में तथ्यों की जांच के बाद ही खबरें प्रकाशित करें, क्योंकि यह केवल एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की रोजी-रोटी का सवाल है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए सभी पत्रकारों का धन्यवाद भी किया।

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