पहले दिन रमणा बालाचंद्रन के कर्नाटिक परंपरा से वीणा वादन और वाद्यकारों के परकशन एन्सेम्बल ने दर्शकों को तालवाद्यों व सुरों का अद्भुत संगम सुनाया
सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़। इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गा दास फाउंडेशन के सहयोग से सेक्टर 26 स्थित स्ट्रोबरी फील्डस हाई स्कूल के सभागार में तीन दिवसीय 47 वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के पहले दिन एक ओर जहां रमणा बालाचंद्रन ने श्रोताओं के समक्ष कर्नाटिक परंपरा में वीणा वादन प्रस्तुत कर कर्णप्रिय लहरियों से समां बांधा, वहीं दूसरी ओर पंडित रामकुमार मिश्रा ने उत्तर भारतीय तालवाद्य का प्रतिनिधित्व करते हुए, तबला पर कर्नाटक व वाद्यकारों के साथ परकशन एन्सेम्बल प्रस्तुत कर श्रोताओं से खूब प्रसंशा बटोरी।
शास्त्रीय संगीत की इस अनूठी संध्या में दर्शकों को तालवाद्यों और सुरों का अद्भुत संगम सुनने को मिला। कार्यक्रम से पूर्व इंडियन नेशनल थिएटर के प्रेसिडेंट अनिल नेहरू व मानद सैक्रेटरी विनीता गुप्ता ने सभी संगीत श्रोताओं का स्वागत किया।
सम्मेलन में पधारे विशेष अतिथि स्वामी भीतिहरानंद जी (रामकृष्ण मिशन, चंडीगढ़ आश्रम) और स्वामी विनिर्मुक्तानंद जी महाराज (श्रीनगर आश्रम) ने कलाकारों को सम्मानित किया। यह मोहक संध्या की शुरुआत रामना बालाचंद्रन की आत्मीय वीणा वादन प्रस्तुति से हुई, जिसने कर्नाटिक परंपरा के सुरों में जादू बिखेर दिया।
कार्यक्रम का समापन हुआ गहन आध्यात्मिकता से ओतप्रोत “नाम जाप” के साथ, जो राग पटदीप में गाया गया एक निर्गुण भजन था, जिसने श्रोताओं को शांति और भक्ति की गहराई में डूबो दिया। रमणा बालाचंद्रन प्रस्तुति के दौरान कुचिभोटला साई गिरिधर, मृदंगम पर, चंद्रशेखर शर्मा, घटम पर, जी. गुरु प्रसन्ना, खंजीरा पर बखूबी संगत की।
इन सभी कलाकारों ने जब एक साथ मंच साझा किया तो वातावरण में मानो संगीत की गंगा बह निकली। मृदंगम, घटम और खंजरी की लयकारी, तबले की गहराई और हारमोनियम के मधुर स्वरों ने श्रोताओं को भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा का अद्भुत अनुभव कराया।
कार्यक्रम के अंत में विनीता गुप्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल एक संगीत प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की विविधता और उसके अनंत सौंदर्य का उत्सव है।मंच का सचांलन अतुल दुबे ने किया।