सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़। फोर्टिस अस्पताल मोहाली में कार्डियोलॉजी व कैथलैब्स के निदेशक डॉ. आर. के. जसवाल के नेतृत्व में हाल ही में 88 वर्षीय मधुमेह पीडि़त बुज़ुर्ग का सफल इलाज किया गया। कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ से पीडि़त मरीज को तुरंत एक्ससीमेर लेजऱ कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (ईएलसीए) के लिए ले जाया गया।
दिल की कोरोनरी धमनियों में 30 साल पहले लगाए गए स्टेंट में भारी मात्रा में कैल्शियम, रक्त का थक्का (थ्रॉम्बस) और गंभीर ब्लॉकेज पाया गया।पटियाला निवासी इस मरीज की हालत नाज़ुक होने के कारण किसी भी अस्पताल ने किसी भी हाई-रिस्क कार्डियक इंटरवेंशन का जोखिम नहीं उठाया। मरीज को इलाज के लिए फोर्टिस मोहाली लाया गया। डॉ. जसवाल ने बिना किसी देरी लेजऱ कोरोनरी एंजियोप्लास्टी के जरिए उनकी बंद कोरोनरी धमनियों में मौजूद ब्लॉकेज को हटा दिया। सर्जरी के दो दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
सिटीन्यूज़ नॉउ से बात करते हुए डॉ. जसवाल ने कहा कि ईएलसीए दिल की बीमारियों के इलाज में यह क्रांतिकारी तकनीक है। पारंपरिक एंजियोप्लास्टी की तुलना में, जिसमें अचानक धमनियों के फिर से बंद होने या थक्का बनने का खतरा होता है, ईएलसीए दिल की धमनियों को बंद कर रहे पदार्थ को पूरी तरह नष्ट कर देती है, जिससे आगे किसी जटिलता का जोखिम नहीं रहता। जटिल कोरोनरी हृदय रोग, जैसे कि छोटे रक्तवाहिनियों की बीमारी, बाइफरकेशन ब्लॉकेज, या विफल स्टेंट और बाईपास ग्राफ्ट वाले मरीजों के लिए ईएलसीए एक गेम-चेंजर है।