सिटीन्यूज़ नॉउ
चण्डीगढ़। दशलक्षण पर्व का सातवाँ दिन उत्तम तप धर्म को समर्पित होता है। जैन आगम के अनुसार इन्द्रियों और आसक्तियों पर नियंत्रण करना असल तप है। तप/ व्रत केवल भूखा रहना नहीं है, बल्कि मन, वचन और काया को संयमित रखना ही वास्तविक तप है। भगवान् महावीर के अनुसार उत्तम तप धर्म का पालन आत्मा को कर्मबंधन से मुक्त करता है और मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर करता है।
जैन दर्शन में दो प्रकार के तप बताए गए हैं:बाह्य तप (External Penance) – जैसे उपवास, एकासन, आयंबिल, अनशन आदि।आंतरिक तप (Internal Penance) – जैसे प्रायश्चित, विनय, सेवा, स्वाध्याय, ध्यान और कायोत्सर्ग। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 7 बजे अभिषेक एवं शांतिधारा से हुआ। प्रथम अभिषेक दामोदर दास जैन,जीरकपुर द्वारा किया गया,आज शांतिधारा का सौभाग्य -योगेश जैन मनिमाजरा,विजय जैन सेक्टर 5०,रजनीश जैन, ढकोली को प्राप्त हुआ।
आज के विधान के सोधरमेंद्र रजनीश जैन (ढकोली), यज्ञनायक अशोक जैन तथा कुबेरइंद्र नरेश जैन (फ़िरोज़पुर), रहे। विधान प्रातः 11 बजे पूर्ण हुआ, जिसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने सात्विक भोजन ग्रहण किया।भारी वर्षा के बावजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं उपस्थित रहे। कार्यकारिणी से धर्म बहादुर जैन, ऐडवोकेट आदर्श जैन , संत कुमार जैन व् अन्य उपस्थित रहे।
सायंकाल 6:30 बजे महाआरती से कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात श्रद्धालुओं को छह ढ़ाला जैन ग्रंथ का महत्व समझाया गया। इसके उपरांत फेन्सी ड्रेस कम्पटीशन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में बालक-बालिकाओं ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

