सिटीन्यूज़ नॉउ/सहगल सुशील/सिंह परमदीप
चंडीगढ़। पंजाब में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए, पर्यावरण विशेषज्ञों और पत्रकारो नेें एक महत्वपूर्ण मीडिया कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला को ” मीडिया कार्यशाला: वायु प्रदूषण, स्वास्थ्य प्रभाव और पंजाब में मीडिया की भूमिका” का नाम दिया गया।पंजाब एक बढ़ते वायु प्रदूषण संकट का सामना कर रहा है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना, वाहनों से निकलने वाला धुआं और औद्योगिक प्रदूषण है। ये कारक विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार व्यक्तियों जैसी संवेदनशील आबादी के लिए गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं को बढ़ा रहे हैं। शोध बताते हैं कि लंबे समय तक खराब हवा में सांस लेने से सांस की बीमारियां, हृदय रोग और अकाल मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
कार्यशाला में 50 पत्रकारों, स्वास्थ्य पेशेवरों, आशा वर्कर्स और किसानों ने भाग लिया। इसमें आईआईएसईआर के अर्थ और एनवायरनमेंट साइंसेज विभाग के प्रो विनायक सिन्हा का सत्र शामिल था, जिसमें उन्होंने वायु प्रदूषण के स्रोतों और उनके स्वास्थ्य प्रभावों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने वायु गुणवत्ता डेटा को समझने के महत्व पर जोर दिया ।
इसके बाद, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के डॉक्टरों जिनमें गाइनिकॉलजिस्ट डॉ स्वप्ना मिसरा; कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अरुण कोचर; पुलमोनोलॉजिस्ट डॉ नवरीत कौर ने वायु प्रदूषण के गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों विशेष रूप से श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों पर प्रकाश डाला।चर्चा में आशा वर्कर्स और किसानों ने अपनी जमीनी अनुभव साझा किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वायु प्रदूषण के कारण ग्रामीण समुदायों को रोज़ाना किन स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पत्रकारों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग के साथ, यह कार्यशाला एक सूचित और कार्रवाई-उन्मुख मीडिया परिदृश्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पंजाब की वायु गुणवत्ता में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक साबित हो सकता है।