सिटीन्यूज़ नॉउ
चंडीगढ़ :- दी यूनाईटेड फोरम ऑफ आईडीबीआई ऑफिसर्स एंड एंप्लाइज के अधीन ऑल इंडिया आईडीबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन ने आईडीबीआई बैंक के प्रस्तावित निजीकरण पर गहरी नाराज़गी जताई है। रविवार को सेक्टर 43 के निजी होटल में आयोजित एक बैठक में “राष्ट्रीय संपत्ति की बिक्री” के विरोध में आंदोलनात्मक रणनीति पर चर्चा की गई जिसकी अध्यक्षता एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरव कुमार ने महासचिव विट्ठल कोटेश्वर राव और वरिष्ठ सदस्यों करमिंदर सिंह, दीपक बत्रा और अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में की।
एसोसिएशन ने 19 मई 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यूएई आधारित संस्था नेशनल बैंक ऑफ दुबई पीजेएससी को भारत में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक (हाॅली ओंड सब्सिडरी) कंपनी स्थापित करने की सैद्धांतिक मंजूरी पर गहरी चिंता व्यक्त की। वर्ष 2019 में नियामक दृष्टिकोण से आईडीबीआई बैंक को निजी बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया था, किंतु भारत सरकार की अब भी 30.48 फ़ीसदी हिस्सेदारी है और एलआईसी की 30.24 फ़ीसदी हिस्सेदारी है जो की कुल मिलाकर 60.72 फ़ीसदी हिस्सेदारी है और अब मैनेजमेंट और कंट्रोल ट्रांसफर के साथ बेची जा रही है।
पिछले वित्तीय वर्ष में 7,515 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया और सकल एनपीए को 55,588 करोड़ रुपए (27.95 फ़ीसदी) से घटाकर 6,695 करोड़ रुपए (2.98 फ़ीसदी) कर दिया है, जबकि प्रोविजन कवरेज अनुपात 99.48 फ़ीसदी है, जो देश में सबसे बेहतर में से एक है। एसोसिएशन ने सवाल उठाया कि जब बैंक मुनाफे में है और वित्तीय रूप से सशक्त बन चुका है, तब उसे निजीकरण की राह पर क्यों डाला जा रहा है।
उन्होंने सरकार से इस विनिवेश योजना पर पुनर्विचार करने की मांग की।एसोसिएशन ने वैकल्पिक मॉडल की भी मांग की है जो की जनहित की रक्षा कर सकें। एसोसिएशन जल्द ही राष्ट्रव्यापी आंदोलन की योजना की घोषणा करेगी।